India US Tariff War :
भारतीय रुपया (Rupee) हाल ही में अमेरिकी डॉलर (USD) के मुकाबले 88/USD का स्तर पार कर चुका है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा संकेत है क्योंकि रुपया लगातार दबाव (Rupee under pressure) में बना हुआ है। निवेशकों, व्यापारियों और आम जनता के बीच यह चिंता का विषय बन गया है कि आने वाले समय में रुपया और कितना कमजोर हो सकता है।
इस पूरे घटनाक्रम का संबंध सिर्फ घरेलू अर्थव्यवस्था से नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कारक भी जिम्मेदार हैं—जैसे India US Tariff War, अमेरिका की सख्त ब्याज दर नीति, और हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा (Modi China Visit)।
रुपया गिरने की बड़ी वजहें
1. India US Tariff War का असर
- भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड टेंशन (US India Trade tension) लगातार बढ़ रहे हैं।
- अमेरिका ने भारतीय सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, जबकि भारत ने भी इसका जवाब देते हुए कई अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क (Import Tariff) बढ़ाया है।
- इस India US Tariff War से भारतीय निर्यात महंगा हुआ है और विदेशी निवेशकों में चिंता बढ़ी है, जिससे डॉलर की डिमांड और बढ़ी है।
2. अमेरिकी डॉलर की मजबूती
- अमेरिका की मजबूत अर्थव्यवस्था और लगातार ऊँची ब्याज दरें डॉलर को मजबूती दे रही हैं।
- विदेशी निवेशक सुरक्षित निवेश के लिए डॉलर एसेट्स चुन रहे हैं।

3. मोदी की चीन यात्रा (Modi China Visit)
- प्रधानमंत्री मोदी हाल ही में चीन दौरे पर गए हैं, जहां भारत-चीन व्यापार और बॉर्डर संबंधों पर बातचीत हुई।
- हालांकि, चीन के साथ बढ़ते आर्थिक रिश्ते भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक हो सकते हैं, लेकिन फिलहाल निवेशक “वेट एंड वॉच” की स्थिति में हैं।
- बाजार में आशंका है कि अगर भारत-चीन रिश्तों में तनाव या अनिश्चितता बनी रही तो विदेशी पूंजी का बहिर्वाह जारी रहेगा।
4. तेल की ऊँची कीमतें (Crude Oil Price Impact)
- भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का लगभग 80% आयात करता है।
- कच्चे तेल की ऊँची कीमतें (Oil Price Rise) डॉलर की मांग को और बढ़ा देती हैं, जिससे रुपया कमजोर होता है।
रुपया कमजोर होने से आम जनता पर असर
- महंगाई में इज़ाफा – आयात महंगे हो जाएंगे, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल, गाड़ियां और पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं।
- विदेश यात्रा महंगी – डॉलर महंगा होने से विदेश यात्राओं पर ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।
- स्टूडेंट्स और विदेश में पढ़ाई – विदेशी यूनिवर्सिटी की फीस और रहने का खर्च बढ़ जाएगा।
- एक्सपोर्टर्स को फायदा – हालांकि निर्यातकों (Exporters) को रुपये की कमजोरी से लाभ होगा क्योंकि उन्हें डॉलर में ज्यादा पैसा मिलेगा।
आने वाले समय का परिदृश्य
- अगर India US Tariff War और बढ़ा, तो रुपया और दबाव में आ सकता है।
- चीन के साथ रिश्तों में स्थिरता और विदेश नीति की मजबूती थोड़ी राहत दे सकती है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) बाजार में हस्तक्षेप कर सकता है ताकि रुपये की तेज गिरावट को रोका जा सके।

निष्कर्ष
रुपये का 88/USD का स्तर पार करना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक चेतावनी है। यह स्थिति सिर्फ घरेलू नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों से जुड़ी है। India US Tariff War, Modi China Visit, Crude Oil Prices और US Monetary Policy जैसे फैक्टर आने वाले महीनों में रुपये की चाल तय करेंगे।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1: रुपया 88/USD के पार क्यों गया?
👉 अंतरराष्ट्रीय तनाव, India US Tariff War, तेल की ऊँची कीमतें और अमेरिकी डॉलर की मजबूती इसकी बड़ी वजहें हैं।
Q2: क्या रुपये की कमजोरी से आम लोगों को नुकसान है?
👉 हाँ, आयातित सामान महंगे होंगे, विदेश यात्रा और पढ़ाई का खर्च बढ़ेगा। लेकिन निर्यातकों को फायदा होगा।
Q3: Modi China Visit से रुपये पर क्या असर होगा?
👉 अगर भारत-चीन व्यापारिक रिश्ते बेहतर होते हैं तो विदेशी निवेश को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे रुपये को सहारा मिलेगा।
Q4: क्या रुपया और गिरेगा?
👉 अगर US India Trade War बढ़ता है और कच्चे तेल की कीमतें ऊँची रहती हैं तो रुपया और कमजोर हो सकता है।
Q5: RBI रुपये को मजबूत करने के लिए क्या करेगा?
👉 RBI विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर बेचकर रुपये को सपोर्ट करने की कोशिश कर सकता है।
