भाई-बहन पर्व
भाई-बहन के पर्व, भाई दूज, ने इस बार अपनी तिथि में बदलाव करते हुए हमारे जीवन में नए उत्साह और शुभकामनाएं लाए हैं। इस अद्वितीय संबंध को मनाने का तारीख पर नए परिवर्तनों ने इसे और भी रोचक बना दिया है।

नई तिथि का परिचय(Bhai Dooj Kab Hai)
भाई दूज, जो आमतौर पर दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है, इस बार कार्तिक मास में दिवाली के पांचवें दिन यानी 15 नवंबर को होगा। इस परिवर्तन के पीछे भुगत भोग्य की घटनाएं हैं, जिसने हमें एक नए समय का सामना करने का अवसर दिया है।

धार्मिक महत्व और रितुअभिषेक
(Bhai Dooj Ki Katha)
भाई दूज का पर्व दिवाली के बाद ही आता है और इस बार यह पांच दिनों का उत्सव होगा। इस दिन भाई-बहन एक-दूसरे के साथ आत्मीयता और प्रेम को मनाते हैं। 15 नवंबर को मथुरा के विश्राम घाट पर भाई दूज का धार्मिक आयोजन होगा, जिसमें भाई-बहन एक दूसरे के हाथ पकड़कर यमुना नदी में स्नान करेंगे। इसके बाद, वे यमुना-धर्मराज मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करेंगे, अपनी मनोकामनाएं मांगेंगे और भाइयों के लिए दीर्घायु चाहेंगी।

लाखों श्रद्धालुओं की भीड़
इस धार्मिक आयोजन को लाखों श्रद्धालुओं का समृद्धिवर्धन करते हैं। यम द्वितीया पर, श्रद्धालु विश्राम घाट पर स्नान करते हैं और फिर इस मंदिर की यात्रा पर निकलते हैं, जिसमें वे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वपूर्ण स्थलों का दौरा करते हैं।

यम-यमी का संबंध और धर्मराज का वरण
यम-यमी, जो सूर्य नारायण और संध्या की संतान हैं, इस पर्व के पीछे गूंथे गए हैं। यमी, जिसे यमुना भी कहा जाता है, ने सतयुग में अपनी तपस्या से प्रभु नारायण को प्रसन्न किया और उनसे प्राप्त किया कि उनका भाई यम द्वितीया पर धर्मराज के रूप में अवतरित होगा। यही कारण है कि श्रीकृष्ण के अवतरण के समय यमुना नदी ने उनके चरणों को स्पर्श किया था। इस पर्व पर हर साल लाखों श्रद्धालु यमुना नदी के तट पर आकर स्नान करते हैं और इस महत्वपूर्ण मंदिर का दर्शन करते हैं।

भाई धर्मराज की दी गई वरदान
इस पर्व पर एक महत्वपूर्ण किस्सा है जिसमें भाई धर्मराज और उनकी बहन यमुना के बीच एक महत्वपूर्ण संवाद हुआ। यमुना ने अपने भाई से मिलने पर भाई धर्मराज को धन्यवाद दिया और उन्हें वर मांगने का अवसर दिया। धर्मराज ने मांगा कि जो भी भाई-बहन इस दिन यमुना में हाथ पकड़कर स्नान करेंगे और इस मंदिर का दर्शन करेंगे, वे मृत्यु के बाद यमलोक को नहीं जाएंगे। यह वरदान यमुना द्वारा मांगा गया और धर्मराज ने इसे हाथों हाथ सहर्ष स्वीकार किया।
टीके का शुभ समय( Bhai Dooj Kab Hai)
इस विशेष दिन पर टीके का शुभ समय है दोपहर 01:10 बजकर से लेकर 03:19 बजकर तक। इस समय में बहनें भाई की सुख, समृद्धि, और दीर्घायु की कामना कर सकती हैं। यम द्वितीया को भी इसी दिन मनाया जाएगा, जो इसे और भी धार्मिक बनाता है क्योंकि कहा जाता है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर यम देवता ने अपनी बहन यमुना के घर जाकर उनसे मिलने का निमंत्रण स्वीकार किया था।
समाप्ति
इस नए और रुचिकर भाई दूज के पर्व के साथ, हम अपने परम परिवार के साथ और धार्मिकता में एक साथ आत्मीयता का आनंद लेते हैं। यह एक विशेष अवसर है जो हमें हमारे संबंधों को मजबूत करने और साझा करने का अवसर देता है, इसे हमें पूरे श्रद्धाभाव से मनाना चाहिए।
FAQs…
1. भाई-दूज क्या है?
भाई-दूज, भारतीय पर्वों में से एक है जो भाई-बहन के प्यार और बंधन को मनाता है। यह पर्व दिवाली के बाद आता है और भाई-बहन एक दूसरे के साथ विशेष रूप से समर्थन और प्रेम का इजहार करते हैं।
2. इस बार भाई-दूज की तिथि में क्या बदलाव है?
इस बार, भाई-दूज की तिथि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को बदल गई है। यह तिथि इस बार 15 नवंबर को होगी।
3. भाई-दूज का महत्व क्या है?
भाई-दूज का महत्व है भाई-बहन के प्रेम और समर्थन का समर्थन करना, जिससे उनका बंधन मजबूत होता है। इस दिन भाई-बहन एक दूसरे के साथ धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और एक दूसरे की दीर्घायु की कामना करते हैं।
4. कैसे मनाते हैं भाई-दूज?
भाई-दूज को भाई-बहन मिलने और एक दूसरे के साथ समय बिताने का एक शुभ अवसर माना जाता है। भाई-बहन एक दूसरे के हाथ पकड़कर यमुना नदी में स्नान करते हैं और फिर धार्मिक स्थलों का दौरा करते हैं।
5. भाई-दूज का धार्मिक महत्व क्या है?
धार्मिक दृष्टि से, भाई-दूज भाई-बहन के प्रेम और समर्थन को सताता है और इस दिन यम द्वितीया भी मनाया जाता है, जो अत्यंत पूर्ण धार्मिकता के साथ होता है।
6. टीके का शुभ समय क्या है? (Bhai Dooj Kab Hai)
भाई-दूज के दिन टीके का शुभ समय दोपहर 01:10 बजकर से लेकर 03:19 बजकर तक है। इस समय में भाई-बहन एक दूसरे के लिए सुख, समृद्धि, और दीर्घायु की कामना कर सकते हैं।
7. कैसे मिले धर्मराज और यमुना का वाक्यिक अर्थ है?
यम-यमी का संबंध एक प्राचीन कथा से है, जिसमें यमुना नदी की तपस्या से प्रसन्न होकर नारायण ने उसे अपने भाई यम के साथ जोड़ा। इसलिए, भाई-दूज में भाई-बहन का बंधन दिव्य और अद्वितीय होता है।
इन सर्वोत्तम प्रश्नों के उत्तरों से हम अब भाई-दूज के महत्वपूर्ण और धार्मिक पहलुओं को समझ सकते हैं। यह पर्व न केवल परिवार को एकजुट करता है बल्कि धार्मिक संस्कृति को भी समृद्धि प्रदान करता है।
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