उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में हाल ही में एक नाम सुर्खियों में रहा है—जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा। यह नाम अवैध धर्मांतरण, विदेशी फंडिंग और आपराधिक गतिविधियों के आरोपों के साथ जोड़ा जा रहा है। छांगुर बाबा की कहानी न केवल एक व्यक्ति की है, बल्कि एक संगठित गिरोह की है, जो कथित तौर पर धर्मांतरण के लिए लोगों को प्रलोभन और धमकियों का इस्तेमाल करता था। इस ब्लॉग पोस्ट में हम छांगुर बाबा के बारे में विस्तार से जानेंगे, उनके खिलाफ दर्ज मुकदमों की जानकारी लेंगे और हालिया बुलडोजर कार्रवाई पर प्रकाश डालेंगे।
छांगुर बाबा कौन है?
जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा, जिसे पीर बाबा के नाम से भी जाना जाता है, बलरामपुर जिले के रेहरा माफी गांव का निवासी है। वह पहले फेरी लगाकर नकली आभूषण और पत्थर बेचने का काम करता था। धीरे-धीरे उसने एक आलीशान जीवनशैली अपनाई और मधुपुर गांव में एक महलनुमा कोठी बनवाई, जो बाद में अवैध अतिक्रमण के कारण चर्चा में आई। छांगुर बाबा पर आरोप है कि वह एक संगठित धर्मांतरण रैकेट का सरगना था, जो गरीब, असहाय और कमजोर वर्गों, विशेषकर महिलाओं को निशाना बनाता था। वह कथित तौर पर पैसों का लालच, नौकरी और शादी का वादा करके लोगों को इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर करता था।

उसके सहयोगियों में नीतू उर्फ नसरीन, नवीन रोहरा, मोहम्मद अहमद खान, महबूब, पिंकी हरिजन, हाजिरा शंकर और एमेन रिजवी जैसे लोग शामिल थे। इस गिरोह ने न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों और महाराष्ट्र तक अपना नेटवर्क फैलाया था।
छांगुर बाबा पर दर्ज मुकदमे
छांगुर बाबा और उसके गिरोह के खिलाफ कई गंभीर आरोपों के तहत मुकदमे दर्ज हैं। इनमें शामिल हैं:
अवैध धर्मांतरण:
छांगुर बाबा पर आरोप है कि उसने सैकड़ों लोगों, विशेषकर हिंदू युवतियों और कमजोर वर्गों के लोगों को प्रलोभन और धमकियों के जरिए इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया। वह कथित तौर पर विभिन्न जातियों की लड़कियों के लिए “रेट लिस्ट” बनाता था, जिसमें धर्मांतरण के लिए अलग-अलग राशि तय की गई थी।
आजमगढ़ के देवगांव थाने में छांगुर बाबा के सहयोगियों और रिश्तेदारों के खिलाफ अवैध धर्मांतरण का मुकदमा (221/23) दर्ज है।
बलरामपुर के उतरौला थाने में भी उसके और उसके सहयोगियों के खिलाफ धर्मांतरण के लिए धमकी देने और दबाव बनाने के आरोप में शिकायत दर्ज की गई है।
विदेशी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग:
जांच में पता चला कि छांगुर बाबा और उसकी संस्थाओं के 40 से अधिक बैंक खातों में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का लेन-देन हुआ। यह राशि कथित तौर पर विदेशी फंडिंग और हवाला के जरिए प्राप्त की गई थी। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत इस मामले में FIR दर्ज की है, और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) टेरर फंडिंग की जांच कर रही है।

धोखाधड़ी और भूमाफिया गतिविधियां:
छांगुर बाबा के सहयोगी मोहम्मद अहमद खान पर कई जिलों में धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेजों से संपत्ति हड़पने और भूमाफिया गतिविधियों के आरोप हैं। उसने पुणे में 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति बनाई थी।
ठेकेदार के खिलाफ SC-ST एक्ट का दुरुपयोग:
छांगुर बाबा ने ठेकेदार बब्बू उर्फ वसीउद्दीन से 12 करोड़ रुपये का निर्माण कार्य करवाया, लेकिन केवल 5.7 करोड़ रुपये का भुगतान किया। शेष राशि न देने के लिए उसने ठेकेदार के खिलाफ SC-ST एक्ट के तहत फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए।
अन्य आपराधिक गतिविधियां:
छांगुर बाबा और उसके गिरोह पर गरीब और असहाय लोगों को धमकाने, मुकदमों में फंसाने की धमकी देने और संगठित अपराध में शामिल होने के आरोप हैं।
बुलडोजर कार्रवाई:
अवैध कोठी पर प्रशासन का एक्शनछांगुर बाबा की मधुपुर गांव में बनी आलीशान कोठी, जो सरकारी जमीन पर अवैध अतिक्रमण करके बनाई गई थी, प्रशासन के निशाने पर आई। इस कोठी में 40 कमरे, सोलर पैनल और अन्य लग्जरी सुविधाएं थीं। यह वही जगह थी, जहां से वह अपने अवैध धर्मांतरण रैकेट को संचालित करता था।

7 जुलाई 2025: प्रशासन ने कोठी पर अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस चस्पा किया। हालांकि, छांगुर बाबा की बहू ने पैमाइश में बाधा डाली।
8 जुलाई 2025: भारी पुलिस बल की मौजूदगी में उतरौला के मधुपुर गांव में कोठी के अवैध हिस्से पर बुलडोजर चला। राजस्व विभाग ने जांच में पाया कि यह कोठी गाटा संख्या 337/370 की सरकारी जमीन पर बनी थी।
9 जुलाई 2025: बुलडोजर कार्रवाई दूसरे दिन भी जारी रही। छांगुर बाबा और उसके सहयोगी नीतू रोहरा की संपत्तियों को ध्वस्त किया गया। प्रशासन ने बताया कि यह कार्रवाई नियमानुसार की गई, और जमीन को पूरी तरह खाली करने तक बुलडोजर चलता रहेगा।

इस कार्रवाई के दौरान कोठी से शक्तिवर्धक दवाइयों का जखीरा, मजार पर चढ़ाई जाने वाली चादरें, और विदेशी सामान बरामद हुए। यह कोठी छांगुर बाबा के काले साम्राज्य का केंद्र थी।
प्रशासन और सरकार का रुख
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि छांगुर बाबा की गतिविधियां न केवल समाज विरोधी, बल्कि राष्ट्र विरोधी भी हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी दोषियों की संपत्तियां जब्त की जाएं और उन्हें ऐसी सजा दी जाए, जो समाज के लिए उदाहरण बने।
उत्तर प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने भी छांगुर बाबा के लिए मौत की सजा की मांग की है, इसे महिलाओं के खिलाफ अपराध और सामाजिक अपराध की श्रेणी में रखते हुए।
छांगुर बाबा का नेटवर्क और संपत्ति
जांच में पता चला कि छांगुर बाबा ने अवैध धर्मांतरण के जरिए 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति बनाई। उसका नेटवर्क बलरामपुर, लखनऊ, मुरादाबाद, नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों और महाराष्ट्र के पुणे तक फैला था। पुणे में उसने 16 करोड़ रुपये की जमीन खरीदी थी। उसके गिरोह के सदस्यों ने 40 बार इस्लामिक देशों की यात्रा की थी, और उनकी संस्थाओं के नाम पर 40 से अधिक बैंक खातों में भारी लेन-देन हुआ।
निष्कर्ष
छांगुर बाबा की कहानी एक छोटे से फेरीवाले से लेकर 100 करोड़ रुपये के साम्राज्य के मालिक बनने की कहानी है, जो अवैध धर्मांतरण, विदेशी फंडिंग और आपराधिक गतिविधियों के जरिए संभव हुई। यूपी पुलिस, ATS, ED और NIA की सख्त कार्रवाई ने उसके काले कारनामों को उजागर किया है। बुलडोजर कार्रवाई और मुकदमों के जरिए प्रशासन ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि अपराध और अवैध गतिविधियों को बख्शा नहीं जाएगा।यह मामला न केवल कानून-व्यवस्था का सवाल है, बल्कि सामाजिक और धार्मिक संवेदनशीलता से भी जुड़ा है। छांगुर बाबा के खिलाफ कार्रवाई समाज में एक मजबूत संदेश देती है कि अपराधियों को किसी भी रूप में बख्शा नहीं जाएगा।