सारण का लाल शहीद मोहम्मद इम्तियाज
शहीद मोहम्मद इम्तियाज एक भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के सब-इंस्पेक्टर थे, जिन्होंने 10 मई 2025 को जम्मू-कश्मीर के आरएस पुरा सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से की गई गोलीबारी में देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। उनकी शहादत ने न केवल उनके परिवार और गांव, बल्कि पूरे देश में देशभक्ति और बलिदान की भावना को प्रेरित किया।
नीचे उनके जीवन, परिवार, और शहादत के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है:
व्यक्तिगत जानकारी
नाम: मोहम्मद इम्तियाज
जन्मस्थान: नारायणपुर गांव, गड़खा थाना क्षेत्र, छपरा जिला, बिहार
पद: सब-इंस्पेक्टर, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ)
शहादत: 10 मई 2025, आरएस पुरा सेक्टर, जम्मू-कश्मीर
परिवार : मोहम्मद इम्तियाज का परिवार देशसेवा के प्रति समर्पित रहा है। उनके पिता, हबीब मियां, ने उन्हें और उनके भाई को बीएसएफ में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया।
उनके परिवार की जानकारी इस प्रकार है:
पिता: हबीब मियां
पत्नी: शहनाज अलीमा (हाल ही में उनका ऑपरेशन हुआ था, जिसके कारण शुरू में उन्हें शहादत की खबर नहीं दी गई)
बेटे: इमरान रजा (बायोमेडिकल इंजीनियर, पटना पीएमसीएच में कार्यरत)
इमदाद रजा
बेटियां: दो बेटियां
भाई : मोहम्मद मुस्तफा (बीएसएफ में तैनात)मोहम्मद असलम (गांव में रहते हैं, पढ़ाई के साथ प्राइवेट जॉब करते हैं) मोहम्मद इम्तियाज तीन भाइयों में सबसे बड़े थे। उनके परिवार का घर “सीमा प्रहरी” के नाम से जाना जाता है, जो उनकी देशसेवा की भावना को दर्शाता है।शहादत की घटना 10 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर पर सहमति बनी थी, लेकिन कुछ ही समय बाद पाकिस्तान ने बिना किसी उकसावे के जम्मू के आरएस पुरा सेक्टर में गोलीबारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में बीएसएफ के सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज, जो सीमा चौकी का नेतृत्व कर रहे थे, ने अपने साथियों को बचाने के लिए वीरतापूर्वक मोर्चा संभाला। उन्होंने पाकिस्तानी गोलीबारी का जवाब देते हुए अपनी जान की परवाह न करते हुए देश की रक्षा की और शहीद हो गए।
बीएसएफ ने अपने आधिकारिक बयान में उनकी बहादुरी को सलाम करते हुए कहा, “सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज ने सीमा चौकी का नेतृत्व करते हुए वीरतापूर्वक आगे बढ़कर देश की सेवा में सर्वोच्च बलिदान दिया।”
श्रद्धांजलि और अंतिम विदाई 11 मई 2025: जम्मू के पलौरा स्थित फ्रंटियर मुख्यालय में मोहम्मद इम्तियाज को पूरे सम्मान के साथ श्रद्धांजलि दी गई। बीएसएफ के महानिदेशक, उच्च अधिकारी, और जवान इस समारोह में शामिल हुए।
12 मई 2025 : उनका पार्थिव शरीर इंडिगो की फ्लाइट से पटना एयरपोर्ट लाया गया, जहां उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इस अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। इसके बाद उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव नारायणपुर ले जाया गया, जहां हजारों लोगों ने उन्हें अंतिम विदाई दी।
परिवार और गांव का माहौल मोहम्मद इम्तियाज की शहादत की खबर से उनके गांव नारायणपुर और पूरे छपरा जिले में शोक की लहर दौड़ गई। हालांकि, गांववासियों और परिवार को इस बात का गर्व है कि उनके बेटे ने देश के लिए अपना बलिदान दिया। उनके बचपन के मित्र बच्चू प्रसाद वीरु ने बताया कि इम्तियाज मिलनसार और हंसमुख स्वभाव के थे, जो हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते थे।उनके बेटे इमरान रजा ने भावुक होते हुए कहा, “मुझे अपने पिता पर गर्व है। मैं उनसे आखिरी बार तब बात कर पाया था जब सीजफायर उल्लंघन हुआ था। वे शहीद हो गए, लेकिन हम उन्हें सलाम करते हैं। भारत सरकार से हमारी मांग है कि पाकिस्तान को करारा जवाब दिया जाए।”उनकी पत्नी शहनाज अलीमा ने कहा, “पति की शहादत का दुख तो रहेगा, लेकिन गर्व है कि उन्होंने देश के लिए बलिदान दिया।” उनके भाई ने भी कहा कि उन्हें इस बात का दुख नहीं कि उनका भाई चला गया, क्योंकि उनके अन्य भाई अभी भी सीमा पर देश की रक्षा कर रहे हैं।
सामाजिक और आधिकारिक प्रतिक्रियाबीएसएफ : बीएसएफ ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर मोहम्मद इम्तियाज की शहादत को सलाम करते हुए उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की।
बिहार सरकार: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, “शहीद मोहम्मद इम्तियाज की शहादत को देश हमेशा याद रखेगा।”सोशल मीडिया: एक्स पर कई यूजर्स ने उनकी शहादत को नमन किया। उदाहरण के लिए, @raju_botana ने लिखा, “शहीद मोहम्मद इम्तियाज को नमन! उनकी शहादत देश के लिए प्रेरणा है!”
व्यक्तित्व और योगदानमोहम्मद इम्तियाज एक नेकदिल और मिलनसार व्यक्ति थे। वे अपने गांव में सुबह मॉर्निंग वॉक के दौरान सभी से मिलते-जुलते थे। एक महीने पहले ही ईद के अवसर पर वे घर आए थे और गांववालों के साथ समय बिताया था। उनकी शहादत ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे देश को देशभक्ति और बलिदान की भावना से प्रेरित किया।
निष्कर्ष शहीद मोहम्मद इम्तियाज का जीवन और शहादत देशसेवा और बलिदान का प्रतीक है। उन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर न केवल अपने परिवार और गांव का, बल्कि पूरे देश का सिर गर्व से ऊंचा किया। उनकी बहादुरी और समर्पण की कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी।